Tuesday, August 19, 2008

भारत से आज़ाद होना चाहता है कश्मीर: अरुंधती रॉय


19 अगस्त 2008 के नवभारत टाइम्स में ये खबर छपी, आपने पढ़ी ज़रूर होगी। अगर नहीं पढ़ पाये हैं तो पूरी खबर ज्यों की की त्यों आपके सामने है

मशहूर ऐक्टिविस्ट और बुकर प्राइज़ विनर राइटर अरुंधती रॉय ने सोमवार को कश्मीर में हुई एक विशाल रैली में कहा ,' कश्मीर को भारत से आज़ादी चाहिए और ठीक उसी तरह भारत को भी कश्मीर से आज़ादी चाहिए। ' इस रैली के दौरान उन्होंने कहा कि कश्मीर की जनता ने हुक्मरान को अपनी चाहत का बयान साफ-साफ लफ्ज़ों में कर दिया है। अरुंधती रॉय ने कहा कि कश्मीर की इस आवाज़ को अगर कोई नहीं सुन रहा है तो महज़ इसलिए कि ' वह ' सुनना नहीं चाहता है, जबकि यही जनमत है। उन्होंने कहा , ' कश्मीर के लोग नहीं चाहते कि कोई उनका प्रतिनिधित्व करे, कश्मीरी खुद अपना प्रतिनिधित्व कर सकते हैं और कर रहे हैं। ' टाइम्स ऑफ इंडिया ' से बात करते हुए उन्होंने कहा, ' जो भी कश्मीर की रैलियों में मौजूद रहता है, सामान्य कश्मीरी की भावनाओं को समझता है उसकी कश्मीर की आज़ादी की मांग के मुद्दे पर दो राय नहीं हो सकती है।
' अपनी किताब ' द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स ' के लिए बुकर प्राइज़ जीतने वाली अरुंधती रॉय ने आगे कहा , ' 1930 से ही कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व करने के मुद्दे पर तमाम बहस और विवाद रहे, चाहे हरि सिंह हों या फिर शेख अब्दुल्ला या फिर कोई और लेकिन इस बहस का अंत नहीं हुआ। ' यही बहस आज भी जारी है चाहे हुर्रियत हो या कोई और, लेकिन कश्मीरियों के प्रतिनिधित्व का मुद्दा नहीं सुलझा। ' लेकिन मुझे लगता है कि आज आम कश्मीरी ही खुद का प्रतिनिधि है।

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